Chaibasa News (प्रकाश कुमार गुप्ता) : हो राइटर्स एसोसिएशन, पश्चिमी सिंहभूम के तत्वावधान में रविवार को कोल्हान यूनिवर्सिटी ऑडिटोरियम में ‘हो’ दुड़ु(कवि) सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में उदीयमान एवं अनुभवी कवियों ने प्रेमरस, शिक्षा, सामाजिक उत्थान और देशभक्ति के भावनाओं से ओत-प्रोत कविताएं अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया।
सम्मेलन के प्रथम सत्र में सतारी होनहागा, प्रेम सागर देवगम, जानकी चातर,रायमुनी हाइबुरु,मानी कुंटिया, सुनीता बोयपाई, रायमुनी कुंकल, हिसी केराई, सतीश सामड, दुसरु पाड़ेया, सुधीर पाट पिंगुवा, सोनू हेस्सा, गोबई गागराई, मंगल बानसिंह, रमेश सावैयां, रानी सामड, रायमन कुदादा, सुखमती बारी, जवाहरलाल बांकिरा, सचिंद्र बिरुवा, पुष्पांजलि बारी,सारिका सुंडी पुर्ति,प्रताप सिंह बानरा, सुशील कुमार पुर्ति,रमेश जेराई,दांसर बोदरा प्रथम सत्र में बिहार विधानसभा तत्कालीन उपाध्यक्ष देवेन्द्रनाथ चांपिया की अध्यक्षता में कवि सम्मेलन का कार्यक्रम आरंभ किया गया। वहीं द्वितीय सत्र में पद्मश्री डॉ.जानुम सिंह सोय की अध्यक्षता में चौवन कवियों ने कविता रचना प्रस्तुत किया। मौके पर डॉ.बसंत चाकी कोल्हान एजुकेशन एंड चैरिटेबल सोसाइटी के अध्यक्ष चंद्रमोहन बिरुवा,प्रो.अर्जुन बिरुवा, साधना चाकी,बीडीओ साधुचरण देवगम मंच साझा किया।
उदीयमान कवि प्रेम सागर देवगम ने अपनी कविता “चिरगेल” के माध्यम से समाज में फैली कुरीतियों की ओर इंगित किया। उन्होंने कहा कि कवि सम्मेलन का आयोजन सराहनीय है। भविष्य में समय समय-समय पर आयोजन करते रहने की आवश्यकता है।अनुभवी कवि सोनू हेस्सा ने समाज में व्याप्त मातृभाषा सीखने के प्रति उदासीनता से चिंतित हैं। इनकी कविता में चिंता साफ दिखा। वहीं कवि प्रताप सिंह बानरा ने भाषा के विकास हेतु आयोजित सम्मेलन का सराहना करते हुए कहा कि मातृभाषा उत्थान की ओर अग्रसर होगा,ऐसी आशा है।कवियित्री सारिका सुंडी पुर्ति ने बगड़ातन हुदा शीर्षक कविता के माध्यम से समाज बिगड़ती सांस्कृतिक विरासत पर चिंता व्यक्त किया। उन्होंने कविता में कहा कि हम अपनी संस्कृति को भूलकर अन्य समुदाय के संस्कृति को ज्यादा महत्व देने लगे हैं। साहित्यकार तिलक बारी ने अपनी कविता के माध्यम से समाज को संदेश दिया कि मातृभाषा के उत्थान के लिए कवि या लेख का सृजन कर अधिक से अधिक समाज का आईना दिखाना आवश्यक है। कवियित्री रासमनी तांती ने अपनी कविता “एगञ अपुङ किञ निमिन अलोबेन दुकुना” के माध्यम से समाज में लड़कियों को महत्व देने का अपील किया है। क्योंकि आज हर परिस्थिति में लड़कियां नई ऊंचाइयां छू रही हैं। लिहाजा लड़कियों को समाज में उचित स्थान दिया जाना चाहिए। हिसी केराई ने कविता ‘पपादिर रेय: गोनोङ’ समाज के हर जन को शिक्षा से जुड़ने पर बल दिया।कवि बनमाली तामसोय ने अपनी कविता “बिड्डेङ गाड़ी” में नई पीढ़ी की भटकती जिंदगी में व्यंग्यात्मक अभिव्यक्ति प्रस्तुत किया। वहीं रायमुनी हाइबुरु ने अपनी कविता में कोरोना काल की मार्मिक चित्रण किया।जबकि रोबिन तांती ने सामाजिक एकता को दर्शाती कविता ‘हासा’ के माध्यम से कहा कि हम एक माटी में जन्मे अमीर और गरीब एक रहें।इस तरह सम्मेलन में उदीयमान और वरीय कवियों ने समाज में दिख रही साक्षात स्थिति पर एक से बढ़कर एक प्रस्तुति देकर समाज को आईना दिखाने का प्रयास किया।
सम्मेलन में सभी कवियों को प्रोत्साहन हेतु हो राइटर्स एसोसिएशन द्वारा अतिथियों के हाथों प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया गया।
मौके पर चक्रधरपुर के विधायक सुखराम उरांव ने उपस्थित होकर जनजातीय भाषा के माध्यम से शिक्षा प्रदान करने के सरकार के कार्यों को आगे बढ़ाने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि प्राथमिकता के साथ इस विषय पर सरकार का ध्यान आकृष्ट करने की बात कही।
मौके पर महिला कॉलेज के प्राध्यापक डॉ.ललिता सुंडी, डॉ.विजय गागराई,हो समाज महासभा के अध्यक्ष मुकेश बिरुवा,युवा महासभा के पूर्व अध्यक्ष डॉ.बबलू सुंडी,बामिया बारी,गब्बरसिंह हेम्ब्रम,इपिल सामड,हरिश्चंद्र सामड, सुखलाल पुर्ति,प्राध्यापिका सोनी कुमारी समेत आयोजन समिति के संरक्षक वीर सिंह बिरुली, संगठन सचिव सिकंदर बुड़ीउली,सचिव कृष्णा देवगम,संयुक्त सचिव दिलदार पुर्ति,जगन्नाथ हेस्सा, कोषाध्यक्ष विमल किशोर बोयपाई,जयराम हेस्सा,दामु सुंडी,मंगल सिंह मुंडा व काफी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।