ईचागढ़ – आज भी पुराने जमाने के लोग अपना जीवन सौ साल तक खुशी खुशी जीते हैं। आज भी कई लोग ऐसे हैं जो प्राकृतिक रूप से जीवन यापन करते देखे जा सकते हैं। आदिवासी समुदाय में अक्सर लोगों को बीना कोई बाहरी आडंबरी के प्राकृतिक जीवन यापन करते हैं। जबकि खान पान और दिखावे का और आधुनिक जीवन शैली लोगों का जीने का समय बहुत छोटा होते जा रहा है। ऐसे एक मजरा ईचागढ़ प्रखंड क्षेत्र के बोड़ा गांव में देखने को मिला। ऐसे कई उदाहरण आज भी देखने को मिल जाएगा।
आज बोड़ा गांव में रविवार को कलामनी देवी सौ वर्ष पार कर उनकी स्वर्गवास हो गया। उनके पोता परमेश्वर सिंह मुण्डा ने बताया कि दादी कोई बीमारी नहीं था। न सुगर न प्रेशर । वह प्राकृतिक रूप से जीवन यापन करते थे। साग सब्जी और मोटा अनाज ही खाती थी। उन्होंने बताया कि नंगे पांव ही रहती थी और शारीरिक परिश्रम भी खुब करती थी। उन्होंने कहा कि एक सौ वर्ष भी उन्होंने पुरा किया और आज उनकी देहांत हो गया। पारंपरिक रिती रिवाज से अंतिम संस्कार किया गया।