Jamshedpur Republic Day Celebration : गणतंत्र दिवस के अवसर पर, जमशेदपुर में एक अनूठे और प्रेरणादायक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। “सड्डा हक: एक सामुदायिक संवाद” नामक इस आयोजन ने न केवल ट्रांसजेंडर समुदाय के योगदान को सराहा, बल्कि उनके अधिकारों और स्वीकृति के लिए संघर्ष को भी उजागर किया। यह कार्यक्रम जमशेदपुर क्वियर सर्कल द्वारा टाटा स्टील यूटिलिटीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विस लिमिटेड (TSUISL) के सहयोग से आयोजित किया गया था और साकची स्थित सुपर सेंटर बैंक्वेट हॉल में शाम 4 बजे से प्रारंभ हुआ।

कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य ट्रांसजेंडर समुदाय की प्रतिभाओं और संघर्षों का उत्सव मनाना और उनके अधिकारों को सम्मानित करना था। “सड्डा हक” का अर्थ था “हमारा हक”, जो ट्रांसजेंडर व्यक्तियों और LGBTQIA+ समुदाय के अधिकारों की तरफ एक शक्तिशाली कदम था। इस विशेष दिन पर, विभिन्न कलात्मक और सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से ट्रांसजेंडर समुदाय की आवाज़ को बुलंद किया गया और उनका सम्मान किया गया।

स्वतंत्रता और समानता के मूल्यों को समर्पित कार्यक्रम
26 जनवरी को आयोजित यह कार्यक्रम भारतीय संविधान के मूल्यों—स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व—को प्रतिबिंबित करता था। खास तौर पर ट्रांसजेंडर समुदाय के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा की गई, जैसे कि स्वास्थ्य, शिक्षा, आजीविका और सामाजिक अधिकारों की पुनर्प्राप्ति। यह कार्यक्रम केवल एक उत्सव नहीं था, बल्कि एक मंच था, जहाँ पर ट्रांसजेंडर व्यक्तियों और उनके सहयोगियों के लिए एक सुरक्षित स्थान था, ताकि वे अपनी आवाज़ उठा सकें और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर सकें।

अविस्मरणीय प्रदर्शन और प्रेरक कहानियाँ
कार्यक्रम की मुख्य आकर्षण थी ओपन माइक सत्र, जहाँ ट्रांसजेंडर व्यक्तियों ने अपनी अद्भुत कला का प्रदर्शन किया। इन सत्रों में कविताएं, गीत, और व्यक्तिगत अनुभवों की कहानी सुनाई गई, जो न केवल समावेशिता की भावना को बढ़ाती थीं, बल्कि दर्शकों के दिलों को भी छूने का काम करती थीं। इन प्रस्तुतियों के माध्यम से समुदाय के संघर्ष, उम्मीदें और आस्थाएं सामने आईं।

कार्यक्रम के दौरान संवाद मंडलियों का भी आयोजन किया गया, जहाँ पर ट्रांसजेंडर नेता, सामुदायिक प्रतिनिधि, और विभिन्न समाजिक संगठनों के सदस्य एकत्रित हुए और मुख्य मुद्दों पर चर्चा की। यह बातचीत समाज में समावेशिता और समानता को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक कदमों को निर्धारित करने के बारे में थी। संवाद मंडलियों ने यह स्पष्ट किया कि ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए अधिक अवसर और स्वीकृति की आवश्यकता है, ताकि वे समाज में अपनी पहचान और स्थान बना सकें।

समाज और कॉर्पोरेट क्षेत्र का समर्थन
कार्यक्रम में विभिन्न गैर-सरकारी संगठन, सामुदायिक नेता, शिक्षक, और कॉर्पोरेट क्षेत्र के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। टाटा स्टील यूटिलिटीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विस लिमिटेड (TSUISL) जैसे बड़े कॉर्पोरेट प्रतिष्ठान के सहयोग ने यह सुनिश्चित किया कि यह कार्यक्रम और भी प्रभावी और सशक्त हो। LGBTQIA+ समुदाय के सहयोगियों ने भी इस कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज की, जिससे समावेशिता का संदेश और भी मजबूत हुआ।

कार्यक्रम में बदलाव का आह्वान
कार्यक्रम की प्रमुख वक्ता और ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता पायल किन्नर ने अपनी बात रखते हुए कहा, “इस गणतंत्र दिवस पर, हमने समाज में अपनी जगह को पुनः स्थापित किया। ‘सड्डा हक’ हमारे संघर्षों और कहानियों की ताकत का प्रतीक है। हम भी इस राष्ट्र के समान हिस्सेदार हैं।”
जमशेदपुर क्वियर सर्कल के संस्थापक Souvik Saha ने भी अपने विचार व्यक्त किए, “आज हम केवल संविधान का जश्न नहीं मना रहे हैं, हम इसके मूल्यों को जी रहे हैं। ‘सड्डा हक’ ने ट्रांसजेंडर आवाज़ों को सशक्त किया और हमें सच्ची समानता और गरिमा की ओर एक कदम और बढ़ाया।”
क्वियर युवा अधिवक्ता सिवम का योगदान
क्वियर युवा अधिवक्ता सिवम ने इस कार्यक्रम को एक आंदोलन के रूप में वर्णित किया। उन्होंने कहा, “यह केवल एक कार्यक्रम नहीं था; यह एक आंदोलन था। आज हमने अपनी पहचान का जश्न मनाया और अपने संघर्षों को साझा किया। यह याद दिलाने का एक तरीका था कि समावेशिता हमारे राष्ट्र को और मजबूत बनाती है।”
समाज में समावेशिता की ओर एक कदम और बढ़ा
यह शाम ट्रांसजेंडर समुदाय और उनके सहयोगियों की ताकत और विविधता का प्रमाण थी। कलात्मक प्रदर्शन, विचारोत्तेजक चर्चाएं और प्रेरणादायक कहानियां इस कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं थीं। “सड्डा हक: एक सामुदायिक संवाद” ने न केवल समानता और न्याय की दिशा में एक मंच प्रदान किया, बल्कि यह समुदाय को एकजुट करने और सशक्त करने के लिए एक अहम कदम साबित हुआ।
कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं:
- सांस्कृतिक प्रदर्शन: ट्रांसजेंडर व्यक्तियों द्वारा संगीत, कविता और कहानी सुनाने का आयोजन।
- ओपन माइक सत्र: संघर्ष और गौरव को प्रतिबिंबित करने वाले व्यक्तिगत अनुभव और रचनात्मक अभिव्यक्तियां।
- संवाद मंडलियां: स्वास्थ्य, शिक्षा, आजीविका और अधिकारों की पुनर्प्राप्ति पर चर्चाएं।
- कलात्मक प्रदर्शनी: शक्ति, विविधता और आकांक्षाओं को दर्शाने वाली कला।
इस गणतंत्र दिवस पर, जमशेदपुर ने उन आवाजों का उत्सव मनाया जो भारत को सच में समावेशी बनाती हैं। यह प्यार, साहस और एकता का दिन था। सभी ने मिलकर एक ऐसे राष्ट्र की दिशा में कदम बढ़ाने का संकल्प लिया, जहाँ हर व्यक्ति को गरिमा और आत्म-अभिव्यक्ति का अधिकार हो।
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